हिंदी कविताएँ
आरुषि
मेरा दिल कहाँ गया?
क्या अब वह उन चिड़ियों के साथ है?
जो पेड़ों के ऊपर गाते हैं?
क्या यह उन तितलियों के साथ है,
जो फूलों के पास उड़ते हैं?
क्या यह उन गुलाब के साथ है,
जो हवा में नाचते हैं?
जब वसंत आता है,
तब दुनिया के सबसे सुंदर कपड़े पहनते है,
और सूरज हमें धूप देता है।
मेरा दिल कहाँ गया?
जब वसंत आता है,
तुमने मेरा दिल चुरा लिया,
और मैंने तुम्हारा।
गेशना
तुम जैसे दोस्त
सब को नहीं मिलते
जो अच्छे या बुरे वक्त में
हमेशा साथ देते हैं।
जो ख़ुशी के समय में
जश्न मनाए
और मुश्किल दिनों में
सहारा दे ।
बचपन से हम
हमेशा साथ है
और बुढ़ापे तक
हमेशा साथ रहेंगे ।
दूरियों में भी
तुम मेरे साथ हो
दिल में मेरे
तुम हमेशा रहते हो ।
हमारी कहानी शुरू हुई
बचपन के खिलौने से
लेकिन अब जुड़ गयी
हज़ारों सपनों से ।
तुम जैसे दोस्त
सब को नहीं मिलते
जो ज़िंदगी भर
हमेशा साथ देते ।
मनीषा
अपने पास बीज रखिए,
शायद एक दिन धूप वापस आयेगी।
शायद मौसम बदल जाएगा।
वो चोट के बीज,
जब तक आप अपने साथ रखते,
आशा करते हैं।
लेकिन अगर आप उसे फेंक देते हैं,
तो आप आगे बढ़ेंगे।
फिर आप नया बीज रख सकते हैं।
वो ख़ुशी के बीज,
उनके साथ नए यादों का नया मौसम।
वो बीज आपके साथ बढ़ेगा।
ऋतिक
आकाश नीला होता है ।
लेकिन तुम्हारे साथ मैं नहीं ।
और अक्सर बरसात का दिन उदास होता है।
लेकिन तुम्हारे साथ मैं खुश होता हूँ।
तुम गहरी नदी सी हो ।
और मैं रेत सा हूँ ।
तुम सुन्दर सूरज सी हो ।
और मैं अंधेरी रात सा हूँ ।
मेरी प्यारी दोस्त,
कहाँ हो तुम ?
याद करो।।
इस दुनिया में अकेली तुम नहीं ।
तुम्हारी याद साथ हैं।
सहाना
इस साल
दुनिया और गर्म हो गई।
और चिड़िया मर गईं
और पौधे मर गए।
ज़िंदगी और ख़राब हो गई
जो हम देख नहीं सकते।
हमारे लिए भी
वह भी जल्दी खराब हो जाएगा।
जब तक हम सब कुछ नहीं करेंगे
एक साथ दुनिया के लिए।
रोहित
एक दूसरे के लिए आए
हम इस दुनिया में।
आपकी इंतज़ार में
ढूँढा एक हज़ार साल पुराना प्यार ।
हर बार आप पास आयीं
मेरे दिल में एक गाना बजा ।
एक गीत के दो गायक।
प्यार करने के लायक़।
सारे दिन सिर्फ़ आपको सोचता हूँ ।
आप के बिना सारी रात मैं जागता हूँ ।
आँखों के नीचे तुम देख सकती हो ।
लेकिन आँखें से सिर्फ़ आपको देखता हूँ ।
आपकी शक्ल मेरे दिमाग़ में घूमती है।
आप है एक सपना इतना सुंदर ।
सोना चाहता हूँ, मुझे मत उठाओ
आपके बिना होने से बचाओ।
वरुण
तुमसे मिलने से पहले,
इसका नाम मालूम न था।
मेरी जिंदगी में तुम्हारे आने से पहले,
सब गुमसुम था।
तुम्हारी तारे जैसी आंखें देख कर,
एक ही नज़र से सब समझ गया,
इसी को कहते हैं मोहब्बत।
यशा
मेरे माँ बाप जैसा कोई नहीं है।
जब मैं ख़ुश हूँ
या मैं उदास हूँ
वे हमेशा मेरे साथ हैं।
वे फूलो की तरह हैं।
हर फूल अलग अलग रंग का है
लेकिन साथ साथ एक जैसा दिखता है।
ये है मेरे माँ बाप।
मेरा सब कुछ।
किरन
घर कहाँ है?
मेरे माँ-बाप नहीं यहाँ है।
घर उनके साथ था।
लेकिन मैं खुश हूँ।
हाँ, मेरे दोस्त,
ये सब मेरे साथ रहते हैं।
मैं अक्सर उनको देखता हूँ ।
घर क्या है?
मैं सोचता हूँ कि घर
के साथ दोस्त हैं।
ड्यूक घर है।
ड्यूक में मैं रहता हूँ।
ड्यूक में मेरे दोस्त रहते हैं।
मैं बहुत खुश यहाँ हूँ ।
तेजस
प्यार एक यात्रा है ।
यात्रा बहुत लंबी हैं ।
अगर सब लोग खुश होते
तो उत्साह कहाँ होता ?
रोना खराब नहीं है ।
वे हमारी मदद करते हैं ।
हमारे अपने मतभेद हैं ।
लेकिन वे हमको पास लाते हैं ।
अपनी आँखें बंद करो ।
प्यार हो जाएगा ।
अनेरी
जब मैं माँ बनूँगी।
दुनिया डरावनी है ।
लेकिन जब मैं माँ बनूँगी,
मैं अपने बच्चे को बताऊंगी कि जब बारिश होती है,
रेन बूट्स पहन कर बारिश में नाचो और पडल्स में कूदो ।
लेकिन एक गर्म कप चाय के साथ अंदर भी रह सकते हो और तूफ़ान के गुज़रने का इंतज़ार कर सकते हो ।
जब मैं माँ बनूँगी,
मैं अपने बच्चे को सिखाऊंगी कि उनके दिमाग कितने सक्षम हैं ।
तो जब वे बडे होंगे, वे जानेंगे कि कोई संख्या उन्हें परिभाषित नहीं कर सकती।
जब मैं माँ बनूँगी,
मैं अपने बच्चे के लिए कई किताबें पढ़ूँगी ।
तो वे सबके साथ दया का व्यवहार करेंगे, क्योंकि वे जानेंगे कि हर किसी की अपनी कहानी होती है।
जब मैं माँ बनूँगी,
मैं अपने बच्चे को दिखाऊंगी कि बहुत कुछ हैं जो हम नहीं जानते हैं,
जैसे दूर आकाश-गंगाओं के बारे में और हमारे अपने शरीर के बारे में ।
तो वे मानेंगे कि सीखना कभी समाप्त नहीं होता ।
दुनिया डरावनी है ।
लेकिन जब मैं माँ बनूँगी,
मैं आशा करती हूँ कि मेरे बच्चे दुनिया कि सुंदरता देख सकेंगे जैसे मेरे मम्मी-पापा ने मुझे दिखाया ।
श्री
हमने दुनिया खराब कर दी है ।
मौसम ज़्यादा गरम हो गया है।
हर जगह कचरा बिखर गया है।
पानी में कचरा है भर गया है।
जानवर मर गए हैं।
लाइट बंद करो जब जरूरत नहीं है ।
जानवरों को मत मारो
जानवरों को मत खाओ ।
जमीन से कचरा उठाओ ।
बहुत देर तक मत नहाओ ।
अगर तुम घर नहीं हो तो एसी को बंद करो ।
अपने दोस्तों से बात करो
उनको जगाओ
दुनिया की मदद करो ।
साहिल
दोस्त, अखबार, मुँह पर मास्क
सब बोलते हैं कि हमारा विश्व खत्म हो रहा है
आजकल हमारे अनुभव में उदासी और अकेलापन है।
लेकिन जब मैंने खिड़की से देखा
पेड़ होते हैं, चिड़ियाँ होती हैं
सूरज होता है
पिछले बार के समान
अगर असल में विश्व खत्म होगा
तो मैं उसको खिड़की से देखूँगा
अब तक मैं उसी का इंतज़ार कर रहा हूँ
धनशील
आसमान नीला है
पेड़ हरा और बड़ा है।
गुलाब छोटा और लाल है
और मेरा दिल बड़ा है।
तुम सुन्दर हो
तुम अच्छी हो।
तुम मुझे खुशी दो
तुम मुझे जीवन दो।
ख़ुशहाल दुनिया में
मेरे साथ आओ।
साथ में चलो
हम खुश होएं।
मिहिर
घास हरी है
और फ़ूल रंगीन हैं
लेकिन आकाश भारी है
और दुनिया ख़ाली है।
मेरा पेट भरा है
और तबीयत अच्छी है
लेकिन मेरा सिर भारी है
और मेरा दिल ख़ाली है।
सपने गये।
तू भी गयी।
लेकिन फिर भी तेरी याद खड़ी है
और मेरी ज़िंदगी ख़ाली है।
समाया
लोग हमेशा एक दूसरे को दर्द देते हैं।
यह वही है जो हमें इंसान बनाता है।
लेकिन कुत्ते, कुत्ते तब तक बुरे नहीं होते
जब तक इंसान उन्हें इस तरह से नहीं बनाते।
जब हम दुखी होते हैं तो वे हमें आराम देते हैं।
जब हम खुश होते हैं तो वे हमें खुशी देते हैं।
कुत्ते एक आदमी के सबसे अच्छे दोस्त हैं।
उनका बिना शर्त प्यार बेमिसाल है।
जब इंसान प्यार से अंदर-बाहर होता है, कुत्ते हमेशा से हैं।
उनकी निरंतर खुशी इतनी अच्छी है।
जब इंसान दुखी हैं, कुत्ते हमेशा से हैं।
कभी-कभी मुझे लगता है कि
हम कुत्तों के लायक नहीं हैं।
कभी-कभी मैं सोचता हूं कि
हम कुत्ते ही क्यों पालते हैं?
क्या यह हमारा स्वार्थ है?
शायद एक दिन, कुत्ते मुक्त होंगे।
रजित
हम घर पर हैं।
हम मेहमान नहीं हैं।
हम सोते हैं।
हम उठते हैं।
हम रोते हैं।
हम मज़ा करते हैं।
हम प्यार करते हैं।
हम परिवार के लिए काम करते हैं।
हम सब अमेरिकन हैं।
हम सब एक ही हैं।
लड़ना मत।
मारना मत।
हम सब एक बड़ा परिवार हैं।
दूसरों को प्यार कीजिए।
जब हम साथ होते हैं, तो ख़ुशी मिलती हैं।
प्रथमेश
हमें न्याय चाहिए।
आपको न्याय चाहिए।
भेदभाव करना नहीं है।
लड़ना सही नहीं है।
जॉर्ज फ़्लॉड।
और बरेओन्ना टेलर।
बदलाव की ज़रूरत है।
पूरी दुनिया में।
जुल्म नहीं।
सिर्फ़ प्यार की ज़रूरत है।
भविष्य में, हमें यह अधिकार देना चाहिए।
अब हम शुरू करते हैं।
हर्ष
मेरे कुत्ता का नाम जग्गू है |
वह बहुत सुंदर है |
आजकल मैं उसे नहीं देखता |
लेकिन मैं अभी-भी उसके बारे में लिखता हूँ |
वह काला और सफ़ेद है |
लेकिन कभी-कभी वह भूरा होता है |
वह मुझपर बहुत गुस्सा करता है |
लेकिन वह अभी खुशी भी लाता है |
कभी-कभी मुझे उससे नफ़रत होती है |
लेकिन वह हमेशा मेरा दोस्त है |
जग्गू बुरा हो सकता है |
लेकिन मैं हमेशा उसी से प्यार करता रहूँगा |
पिप्पा
बहुत चीज़ें दुनिया में
जिंदा ही नहीं हैं
जैसे धूप ढूंढना मुश्किल है।
लेकिन हवा में कुछ नहीं है।
यह कुछ नहीं होना हलका है।
भरो खालीपन
दिल के साथ
खट्टे मीठे विचारों से ।
रचिता
हर दिन क्लास में आपसे मिलती हूँ ।
ज़ूम में भी आपकी आँखें बहुत सुन्दर हैं
आपकी आँखें मेरा स्वर्ग है ।
आप घर मेरा घर है ।
मैंने आपको अपना दिल दिया ।
मैंने आपको अपना प्रेम दिया ।
लेकिन आपने मेरी भक्ति नहीं समझी ।
अब में खुद को नहीं जानती ।
आइने में लड़की कौन है ?
अगर आपने मुझमें खुद को देखा ,
तो आप मुझसे पूछते “तू कैसी है ?”
लेकिन तुम नहीं जान पाए।
मुझे नहीं लगता।
किन्डल
प्रेम रोता है भोर में
प्रेम बोलता है दिन-भर
प्रेम हँसता है शाम को
प्रेम कभी नहीं सोता
वे कहते हैं चीज़ें
कि हम सुनना चाहिए
हम उसके रोने की उपेक्षा करते हैं
हम उसके सपने की उपेक्षा करते हैं
हम झूठे वादे करते हैं और प्रेम में विश्वास करते हैं।
क्योंकि प्रेम रोया भोर में
और बोला दिन-भर
और हँसा शाम को
वह हमारे वादों के लिए प्रतीक्षा करता है
तो प्रेम कभी नहीं सोता
हम विफल हो सकते हैं एक सौ बार
और प्रेम फिर भी प्रतीक्षा करता है,
पूरे समय प्रतीक्षा करता
ड्यूक यूनिवर्सिटी के छात्रों की इन कविताओं को मैंने पढ़ा है और इनकी अॉडियो भी सुनी है. मंजु मिश्रा जी के सौजन्य से मिली इन कविताओं में बहुत कुछ ऐसा है जिससे यह कहा जा सकता है कि इनके रचनाकरों को कविता की समझ ही नहीं बल्कि बेहतर समझ है. यदि एक कार्यशाला के बाद इतनी अच्छी कविताएँ लिखी जा सकती हैं तो निश्चय ही मंजु मिश्रा जी और इनकी प्रफेसर बधाई के पात्र हैं.
औपचारिक रूप से हिंदी न पढ़ने वाले छात्र ऐसी कविताएँ लिख सकते हैं यह बहुत बड़ी बात है.
किशोरावस्था में कल्पना शक्ति चरम पर होती है…. और प्रेम की भावना का ज्वार भी इसी अवस्था में सबसे अधिक होता है. प्रकृति से जुड़ना, चिड़ियों और तितलियों से प्रभावित होना और फूलों की सुंदरता के प्रति आकर्षित होकर कल्पना लोक में विचरण करना स्वाभाविक ही है..,
गेशना की इस कविता में अल्हड़ कल्पना है और अपनी सहज भावना की सुंदर अभिव्यक्ति है-
मेरा दिल कहाँ गया?/ क्या अब वह उन चिड़ियों के साथ है?/ जो पेड़ों के ऊपर गाते(गाती) हैं?/ क्या यह उन तितलियों के साथ है/जो फूलों के पास उड़ते (उड़ती) हैं?/ क्या यह उन गुलाब के साथ है, / जो हवा में नाचते हैं?/ जब वसंत आता है,/ तब दुनिया के सबसे सुंदर कपड़े पहनते है
-गेशना
मनीषा की कविता में बचपन से एक दोस्त के साथ दोस्ती खिलौनों से शुरू होकर उसमें भविष्य के सुहावने सपनों के शामिल होने की बात बेहद सहजता से कही गई है, बेहतरीन कविता है-
हमारी कहानी शुरू हुई/बचपन के खिलौने से/लेकिन अब जुड़ गयी/हज़ारों सपनों से
-मनीषा
ऋतिक ने तो कविता में बहुत बड़ी बात कह दी….घोर निराशा के काल में भी आशा के बीज को बचाकर रखने की बात-
अपने पास बीज रखिए,/शायद एक दिन धूप वापस आयेगी/शायद मौसम बदल जाएगा
-ऋतिक
सहाना ने अपने मित्र के साथ होने से होने वाली खुशी के अनुभूत सत्य के अहसास को कविता में उपमा अलंकार के माध्यम से कह दिया है-
…और अक्सर बरसात का दिन उदास होता है/लेकिन तुम्हारे साथ मैं खुश होता हूँ।/तुम गहरी नदी सी हो/और मैं रेत सा हूँ/तुम सुन्दर सूरज सी हो/और मैं अंधेरी रात सा हूँ
-सहाना
रोहित ने तो वर्तमान वैश्विक आपदा से हुई त्रासदी को कविता का विषय बनाया है और एक बहुत महत्वपूर्ण बात कविता में कह दी है…. दुनियाभर की मानवता को बचाने के लिए सबको मिलकर सोचना होगा, मिलकर काम करना ही होगा-
इस साल/दुनिया और गर्म हो गई/ और चिड़ियाँ मर गईं/और पौधे मर गए।/ज़िंदगी और ख़राब हो गई /जो हम देख नहीं सकते।/हमारे लिए भी/ वह भी जल्दी खराब हो जाएगा।/जब तक हम सब कुछ नहीं करेंगे/एक साथ दुनिया के लिए
-रोहित
वरुण की कविता में किशोरावस्था की सहज कल्पना है-
आप हैं एक सपना इतना सुंदर/सोना चाहता हूँ, मुझे मत उठाओ/आपके बिना होने से बचाओ
-वरुण
यशा की कविता भी प्रेम में मधुर कल्पना के पंखों से उड़ान भरने के सपने संजोये हुए है-
तुमसे मिलने से पहले/इसका नाम मालूम न था।/मेरी जिंदगी में तुम्हारे आने से पहले,/सब गुमसुम था/तुम्हारी तारे जैसी आंखें देख कर/एक ही नज़र से सब समझ गया/इसी को कहते हैं मोहब्बत
-यशा
किरन की कविता में अपने माता- पिता के प्रति असीम प्यार और आदर का भाव है-
मेरे माँ बाप जैसा कोई नहीं है।/जब मैं ख़ुश हूँ/या मैं उदास हूँ/वे हमेशा मेरे साथ हैं।/वे फूलो की तरह हैं।/हर फूल अलग अलग रंग का है/लेकिन साथ साथ एक जैसा दिखता है।/ये हैं मेरे माँ बाप।/मेरा सब कुछ
-किरन
तेजस के लिए माँ- बाप के साथ न रहने की रिक्तता को महसूस करने की सघन पीड़ा उभर कर कविता में आ गई है…. फिर भी वह अपने दोस्तों के साथ रहकर खुश होने की अनुभूति कर लेता है-
घर कहाँ है?/मेरे माँ-बाप नहीं यहाँ है।/घर उनके साथ था।/लेकिन मैं खुश हूँ।/हाँ, मेरे दोस्त,/ये सब मेरे साथ रहते हैं।/मैं अक्सर उनको देखता हूँ
-तेजस
अनेरी की कविता में दार्शनिक विचारों की झलक है, …. रोना अर्थात दुख भी हमें पास लाने का ही कार्य करते हैं-
अगर सब लोग खुश होते/तो उत्साह कहाँ होता? /रोना खराब नहीं है/ वे हमारी मदद करते हैं/हमारे अपने मतभेद हैं /लेकिन वे हमको पास लाते हैं
-अनेरी
श्री… की कविता तो बहुत परिपक्व कविता है…. उसकी भविष्य में माँ बनने की कल्पना और भावी बच्चे को एक आदर्श माँ के रूप में दुनिया को समझाने की परिकल्पना उसके अंदर छिपे भविष्य के बड़े कवि की ओर संकेत करते हैं-
दुनिया डरावनी है/लेकिन जब मैं माँ बनूँगी,/मैं अपने बच्चे को बताऊंगी कि जब बारिश होती है,/रेन बूट्स पहन कर बारिश में नाचो और पडल्स में कूदो
जब मैं माँ बनूँगी,/मैं अपने बच्चे के लिए कई किताबें पढ़ूँगी/तो वे सबके साथ दया का व्यवहार करेंगे,/ क्योंकि वे जानेंगे कि/ हर किसी की अपनी कहानी होती है।
मैं अपने बच्चे को दिखाऊंगी/कि बहुत कुछ है जो हम नहीं जानते हैं,/जैसे दूर आकाश-गंगाओं के बारे में और हमारे अपने शरीर के बारे में/तो वे मानेंगे कि सीखना कभी समाप्त नहीं होता
दुनिया डरावनी है/लेकिन जब मैं माँ बनूँगी,/मैं आशा करती हूँ कि/ मेरे बच्चे दुनिया की सुंदरता देख सकेंगे/ जैसे मेरे मम्मी-पापा ने मुझे दिखाया/
-श्री
साहिल की कविता में व्यावहारिक सीख है….. प्रदूषण भी हमने ही फैलाया है… इसे हम सबको मिलकर ही ठीक करना होगा…
हमने दुनिया खराब कर दी है/मौसम ज़्यादा गरम हो गया है। /हर जगह कचरा बिखर गया है।……
अगर तुम घर नहीं हो तो एसी को बंद करो/ अपने दोस्तों से बात करो /उनको जगाओ/दुनिया की मदद करो
-साहिल
धनशील की कविता बताती है कि अभी सब खत्म नहीं हुआ है…. बहुत कुछ है… हमारे आसपास –
सब बोलते हैं कि हमारा विश्व खत्म हो रहा है/आजकल हमारे अनुभव में उदासी और अकेलापन है।/लेकिन जब मैंने खिड़की से देखा/पेड़ होते हैं, चिड़ियाँ होती हैं/सूरज होता है/पिछले बार के समान
-धनशील
मिहिर की कविता अपनी कल्पना के साथी के साथ रहकर खुश रहने का सपना सँजोये हुए है-
ख़ुशहाल दुनिया में /मेरे साथ आओ।/साथ में चलो हम खुश होएं।
-मिहिर
समाया ने प्रकृति और दुनिया के बीच झाँकने की कोशिश अपनी कविता में की है-
घास हरी है/और फ़ूल रंगीन हैं/लेकिन आकाश भारी है /और दुनिया ख़ाली है।
-समाया
रजित ने पालतू कुत्ते की बफादारी और उनका अपने मालिक के सुख दुःख में सुखी होने और दुखी होने के भाव को कविता का विषय बनाया है और बहुत अच्छी कविता लिखी है…. कुत्तों के मुक्त होने की कल्पना रजित की संवेदनशीलता को दर्शाता है-
जब हम दुखी होते हैं तो वे हमें आराम देते हैं।/जब हम खुश होते हैं तो वे हमें खुशी देते हैं।/कुत्ते एक आदमी के सबसे अच्छे दोस्त हैं।
…
कभी-कभी मैं सोचता हूं कि/हम कुत्ते ही क्यों पालते हैं?/क्या यह हमारा स्वार्थ है?/शायद एक दिन, कुत्ते मुक्त होंगे
-रजित
प्रथमेश की कविता वसुधैव कुटुम्बकम की भावना से युक्त कविता है-
हम सब अमेरिकन हैं।/ हम सब एक ही हैं।/लड़ना मत। /मारना मत।/ हम सब एक बड़ा परिवार हैं।/दूसरों को प्यार कीजिए।/जब हम साथ होते हैं, तो ख़ुशी मिलती हैं।
-प्रथमेश
हर्ष की दृष्टि में दुनिया में बदलाव बहुत जरूरी है-
हमें न्याय चाहिए।/आपको न्याय चाहिए।/भेदभाव करना नहीं है।/लड़ना सही नहीं है।
बदलाव की ज़रूरत है।/पूरी दुनिया में।/जुल्म नहीं।/सिर्फ़ प्यार की ज़रूरत है।/भविष्य में, हमें यह अधिकार देना चाहिए।/अब हम शुरू करते हैं।
-हर्ष
पिप्पा की कविता अपने पालतू कुत्ते से प्रभावित होकर लिखी गई कविता है
मेरे कुत्ता का नाम जग्गू है/वह बहुत सुंदर है…
वह मुझ पर बहुत गुस्सा करता है/लेकिन वह अभी खुशी भी लाता है/ कभी-कभी मुझे उससे नफ़रत होती है/लेकिन वह हमेशा मेरा दोस्त है…….. .मैं हमेशा उसी से प्यार करता रहूँगा
-पिप्पा
रचिता की कविता में दार्शनिकता है… अपनी बात कहने का तरीका बहुत परिपक्व है…. मुझे लगता है कि भविष्य में यह एक बड़े रचनाकार होने का संकेत है-
बहुत चीज़ें दुनिया में /जिंदा ही नहीं हैं/जैसे धूप ढूंढ़ना मुश्किल है।/लेकिन हवा में कुछ नहीं है।……/यह कुछ नहीं होना हल्का है। भरो खालीपन/दिल के साथ/ खट्टे मीठे विचारों से
-रचिता
किन्डल की कविता में अपनेपन का भाव है और अपने मित्र के प्रति उलाहना भी है…. प्रेम में नोंक झोंक जैसा-
…..अगर आपने मुझमें खुद को देखा/ तो आप मुझसे पूछते “तू कैसी है ?”/ लेकिन तुम नहीं जान पाए।/मुझे नहीं लगता।
-किन्डल
नाम नहीं है ….. इनकी कविता में प्रेम को परिभाषित किया गया है-
….हम झूठे वादे करते हैं/और प्रेम में विश्वास करते हैं/ क्योंकि प्रेम रोया भोर में/और बोला दिन-भर/ और हँसा शाम को/वह हमारे वादों के लिए प्रतीक्षा करता है/ तो प्रेम कभी नहीं सोता/हम विफल हो सकते हैं एक सौ बार/और प्रेम फिर भी प्रतीक्षा करता है…
कुल मिलाकर बहुत ही बेहतरीन कविताएँ बच्चों ने लिखी हैं… इन्हें पढ़ाने वाले प्रफेसर निश्चित रूप से बधाई के पात्र हैं… कविताओं के लिए विविध विषयों का चयन छात्रों ने किया है और बहुत अच्छी, स्तरीय कविताएँ बच्चों ने लिखी हैं…. .. यह इनके/इनकी प्रफेसर और मंजु जी का जादुई प्रभाव ही है कि मुख्य विषय हिन्दी न पढ़ने वाले छात्रों ने हिन्दी में इतनी श्रेष्ठ कविताओं की रचना की है.
बहुत सारी शुभकामनाएं.
-डा० जगदीश व्योम
दिल्ली, भारत
ड्यूक यूनिवर्सिटी के छात्रों की इन कविताओं को मैंने पढ़ा है और इनकी ऑडियो भी सुनी है. मंजु मिश्रा जी के सौजन्य से मिली इन कविताओं में बहुत कुछ ऐसा है जिससे यह कहा जा सकता है कि इनके रचनाकरों को कविता की समझ ही नहीं बल्कि बेहतर समझ है. यदि एक कार्यशाला के बाद इतनी अच्छी कविताएँ लिखी जा सकती हैं तो निश्चय ही मंजु मिश्रा जी और इनकी प्रोफ़ेसर बधाई के पात्र हैं.
औपचारिक रूप से हिंदी न पढ़ने वाले छात्र ऐसी कविताएँ लिख सकते हैं यह बहुत बड़ी बात है.
किशोरावस्था में कल्पना शक्ति चरम पर होती है…. और प्रेम की भावना का ज्वार भी इसी अवस्था में सबसे अधिक होता है. प्रकृति से जुड़ना, चिड़ियों और तितलियों से प्रभावित होना और फूलों की सुंदरता के प्रति आकर्षित होकर कल्पना लोक में विचरण करना स्वाभाविक ही है..,
गेशना की इस कविता में अल्हड़ कल्पना है और अपनी सहज भावना की सुंदर अभिव्यक्ति है-
मेरा दिल कहाँ गया?/ क्या अब वह उन चिड़ियों के साथ है?/ जो पेड़ों के ऊपर गाते(गाती) हैं?/ क्या यह उन तितलियों के साथ है/जो फूलों के पास उड़ते (उड़ती) हैं?/ क्या यह उन गुलाब के साथ है, / जो हवा में नाचते हैं?/ जब वसंत आता है,/ तब दुनिया के सबसे सुंदर कपड़े पहनते है
-गेशना
मनीषा की कविता में बचपन से एक दोस्त के साथ दोस्ती खिलौनों से शुरू होकर उसमें भविष्य के सुहावने सपनों के शामिल होने की बात बेहद सहजता से कही गई है, बेहतरीन कविता है-
हमारी कहानी शुरू हुई/बचपन के खिलौने से/लेकिन अब जुड़ गयी/हज़ारों सपनों से
-मनीषा
ऋतिक ने तो कविता में बहुत बड़ी बात कह दी….घोर निराशा के काल में भी आशा के बीज को बचाकर रखने की बात-
अपने पास बीज रखिए,/शायद एक दिन धूप वापस आयेगी/शायद मौसम बदल जाएगा
-ऋतिक
सहाना ने अपने मित्र के साथ होने से होने वाली खुशी के अनुभूत सत्य के अहसास को कविता में उपमा अलंकार के माध्यम से कह दिया है-
…और अक्सर बरसात का दिन उदास होता है/लेकिन तुम्हारे साथ मैं खुश होता हूँ।/तुम गहरी नदी सी हो/और मैं रेत सा हूँ/तुम सुन्दर सूरज सी हो/और मैं अंधेरी रात सा हूँ
-सहाना
रोहित ने तो वर्तमान वैश्विक आपदा से हुई त्रासदी को कविता का विषय बनाया है और एक बहुत महत्वपूर्ण बात कविता में कह दी है…. दुनियाभर की मानवता को बचाने के लिए सबको मिलकर सोचना होगा, मिलकर काम करना ही होगा-
इस साल/दुनिया और गर्म हो गई/ और चिड़ियाँ मर गईं/और पौधे मर गए।/ज़िंदगी और ख़राब हो गई /जो हम देख नहीं सकते।/हमारे लिए भी/ वह भी जल्दी खराब हो जाएगा।/जब तक हम सब कुछ नहीं करेंगे/एक साथ दुनिया के लिए
-रोहित
वरुण की कविता में किशोरावस्था की सहज कल्पना है-
आप हैं एक सपना इतना सुंदर/सोना चाहता हूँ, मुझे मत उठाओ/आपके बिना होने से बचाओ
-वरुण
यशा की कविता भी प्रेम में मधुर कल्पना के पंखों से उड़ान भरने के सपने संजोये हुए है-
तुमसे मिलने से पहले/इसका नाम मालूम न था।/मेरी जिंदगी में तुम्हारे आने से पहले,/सब गुमसुम था/तुम्हारी तारे जैसी आंखें देख कर/एक ही नज़र से सब समझ गया/इसी को कहते हैं मोहब्बत
-यशा
किरन की कविता में अपने माता- पिता के प्रति असीम प्यार और आदर का भाव है-
मेरे माँ बाप जैसा कोई नहीं है।/जब मैं ख़ुश हूँ/या मैं उदास हूँ/वे हमेशा मेरे साथ हैं।/वे फूलो की तरह हैं।/हर फूल अलग अलग रंग का है/लेकिन साथ साथ एक जैसा दिखता है।/ये हैं मेरे माँ बाप।/मेरा सब कुछ
-किरन
तेजस के लिए माँ- बाप के साथ न रहने की रिक्तता को महसूस करने की सघन पीड़ा उभर कर कविता में आ गई है…. फिर भी वह अपने दोस्तों के साथ रहकर खुश होने की अनुभूति कर लेता है-
घर कहाँ है?/मेरे माँ-बाप नहीं यहाँ है।/घर उनके साथ था।/लेकिन मैं खुश हूँ।/हाँ, मेरे दोस्त,/ये सब मेरे साथ रहते हैं।/मैं अक्सर उनको देखता हूँ
-तेजस
अनेरी की कविता में दार्शनिक विचारों की झलक है, …. रोना अर्थात दुख भी हमें पास लाने का ही कार्य करते हैं-
अगर सब लोग खुश होते/तो उत्साह कहाँ होता? /रोना खराब नहीं है/ वे हमारी मदद करते हैं/हमारे अपने मतभेद हैं /लेकिन वे हमको पास लाते हैं
-अनेरी
श्री… की कविता तो बहुत परिपक्व कविता है…. उसकी भविष्य में माँ बनने की कल्पना और भावी बच्चे को एक आदर्श माँ के रूप में दुनिया को समझाने की परिकल्पना उसके अंदर छिपे भविष्य के बड़े कवि की ओर संकेत करते हैं-
दुनिया डरावनी है/लेकिन जब मैं माँ बनूँगी,/मैं अपने बच्चे को बताऊंगी कि जब बारिश होती है,/रेन बूट्स पहन कर बारिश में नाचो और पडल्स में कूदो
जब मैं माँ बनूँगी,/मैं अपने बच्चे के लिए कई किताबें पढ़ूँगी/तो वे सबके साथ दया का व्यवहार करेंगे,/ क्योंकि वे जानेंगे कि/ हर किसी की अपनी कहानी होती है।
मैं अपने बच्चे को दिखाऊंगी/कि बहुत कुछ है जो हम नहीं जानते हैं,/जैसे दूर आकाश-गंगाओं के बारे में और हमारे अपने शरीर के बारे में/तो वे मानेंगे कि सीखना कभी समाप्त नहीं होता
दुनिया डरावनी है/लेकिन जब मैं माँ बनूँगी,/मैं आशा करती हूँ कि/ मेरे बच्चे दुनिया की सुंदरता देख सकेंगे/ जैसे मेरे मम्मी-पापा ने मुझे दिखाया/
-श्री
साहिल की कविता में व्यावहारिक सीख है….. प्रदूषण भी हमने ही फैलाया है… इसे हम सबको मिलकर ही ठीक करना होगा…
हमने दुनिया खराब कर दी है/मौसम ज़्यादा गरम हो गया है। /हर जगह कचरा बिखर गया है।……
अगर तुम घर नहीं हो तो एसी को बंद करो/ अपने दोस्तों से बात करो /उनको जगाओ/दुनिया की मदद करो
-साहिल
धनशील की कविता बताती है कि अभी सब खत्म नहीं हुआ है…. बहुत कुछ है… हमारे आसपास –
सब बोलते हैं कि हमारा विश्व खत्म हो रहा है/आजकल हमारे अनुभव में उदासी और अकेलापन है।/लेकिन जब मैंने खिड़की से देखा/पेड़ होते हैं, चिड़ियाँ होती हैं/सूरज होता है/पिछले बार के समान
-धनशील
मिहिर की कविता अपनी कल्पना के साथी के साथ रहकर खुश रहने का सपना सँजोये हुए है-
ख़ुशहाल दुनिया में /मेरे साथ आओ।/साथ में चलो हम खुश होएं।
-मिहिर
समाया ने प्रकृति और दुनिया के बीच झाँकने की कोशिश अपनी कविता में की है-
घास हरी है/और फ़ूल रंगीन हैं/लेकिन आकाश भारी है /और दुनिया ख़ाली है।
-समाया
रजित ने पालतू कुत्ते की बफादारी और उनका अपने मालिक के सुख दुःख में सुखी होने और दुखी होने के भाव को कविता का विषय बनाया है और बहुत अच्छी कविता लिखी है…. कुत्तों के मुक्त होने की कल्पना रजित की संवेदनशीलता को दर्शाता है-
जब हम दुखी होते हैं तो वे हमें आराम देते हैं।/जब हम खुश होते हैं तो वे हमें खुशी देते हैं।/कुत्ते एक आदमी के सबसे अच्छे दोस्त हैं।
…
कभी-कभी मैं सोचता हूं कि/हम कुत्ते ही क्यों पालते हैं?/क्या यह हमारा स्वार्थ है?/शायद एक दिन, कुत्ते मुक्त होंगे
-रजित
प्रथमेश की कविता वसुधैव कुटुम्बकम की भावना से युक्त कविता है-
हम सब अमेरिकन हैं।/ हम सब एक ही हैं।/लड़ना मत। /मारना मत।/ हम सब एक बड़ा परिवार हैं।/दूसरों को प्यार कीजिए।/जब हम साथ होते हैं, तो ख़ुशी मिलती हैं।
-प्रथमेश
हर्ष की दृष्टि में दुनिया में बदलाव बहुत जरूरी है-
हमें न्याय चाहिए।/आपको न्याय चाहिए।/भेदभाव करना नहीं है।/लड़ना सही नहीं है।
बदलाव की ज़रूरत है।/पूरी दुनिया में।/जुल्म नहीं।/सिर्फ़ प्यार की ज़रूरत है।/भविष्य में, हमें यह अधिकार देना चाहिए।/अब हम शुरू करते हैं।
-हर्ष
पिप्पा की कविता अपने पालतू कुत्ते से प्रभावित होकर लिखी गई कविता है
मेरे कुत्ता का नाम जग्गू है/वह बहुत सुंदर है…
वह मुझ पर बहुत गुस्सा करता है/लेकिन वह अभी खुशी भी लाता है/ कभी-कभी मुझे उससे नफ़रत होती है/लेकिन वह हमेशा मेरा दोस्त है…….. .मैं हमेशा उसी से प्यार करता रहूँगा
-पिप्पा
रचिता की कविता में दार्शनिकता है… अपनी बात कहने का तरीका बहुत परिपक्व है…. मुझे लगता है कि भविष्य में यह एक बड़े रचनाकार होने का संकेत है-
बहुत चीज़ें दुनिया में /जिंदा ही नहीं हैं/जैसे धूप ढूंढ़ना मुश्किल है।/लेकिन हवा में कुछ नहीं है।……/यह कुछ नहीं होना हल्का है। भरो खालीपन/दिल के साथ/ खट्टे मीठे विचारों से
-रचिता
किन्डल की कविता में अपनेपन का भाव है और अपने मित्र के प्रति उलाहना भी है…. प्रेम में नोंक झोंक जैसा-
…..अगर आपने मुझमें खुद को देखा/ तो आप मुझसे पूछते “तू कैसी है ?”/ लेकिन तुम नहीं जान पाए।/मुझे नहीं लगता।
-किन्डल
नाम नहीं है ….. इनकी कविता में प्रेम को परिभाषित किया गया है-
….हम झूठे वादे करते हैं/और प्रेम में विश्वास करते हैं/ क्योंकि प्रेम रोया भोर में/और बोला दिन-भर/ और हँसा शाम को/वह हमारे वादों के लिए प्रतीक्षा करता है/ तो प्रेम कभी नहीं सोता/हम विफल हो सकते हैं एक सौ बार/और प्रेम फिर भी प्रतीक्षा करता है…
कुल मिलाकर बहुत ही बेहतरीन कविताएँ बच्चों ने लिखी हैं… इन्हें पढ़ाने वाले प्रोफ़ेसर निश्चित रूप से बधाई के पात्र हैं… कविताओं के लिए विविध विषयों का चयन छात्रों ने किया है और बहुत अच्छी, स्तरीय कविताएँ बच्चों ने लिखी हैं…. .. यह इनके/इनकी प्रोफ़ेसर और मंजु जी का जादुई प्रभाव ही है कि मुख्य विषय हिन्दी न पढ़ने वाले छात्रों ने हिन्दी में इतनी श्रेष्ठ कविताओं की रचना की है.
बहुत सारी शुभकामनाएं.
-डा० जगदीश व्योम
दिल्ली, भारत