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Harsha Poem

 

कुछ नहीं 

एक बच्चा सूरज से खेल रहा है 

उसकी माँ भी उसके साथ खेल रही है

उसका पति उन्हें खेलते देख रहा है

लापरवाही, चिंता मुक्त सा 

दिन कितना सुंदर है

आसमान में एक भी बादल नहीं है

जैसे इस परिवार की तरह धरती भी मस्ती कर रही है

इस बगीचे से परे, जीवन एक जैसा नहीं है

हर कोई इतना खरीद रहा है

इतना चिंतित हो रहा है

और इतने दबाव में रह रहा है

हर कोई हमेशा कहीं न कहीं  व्यस्त है

लेकिन यह बगीचा अलग है

यहाँ, जीवन धीमा हो जाता है

जैसे एक छोटा बच्चा धीरे होता है

मैं अभी बाहर से आया हूँ

पर मैं बाग का कायल हूँ

अभी मैंमैं लापरवाह हूँ 

माना जीवन संघर्ष से भरपूर है

लेकिन, बगीचे से परे भी, खेलने के बहुत सारे कारण हैं |


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