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Podcast 1: Marriages in India

भारतीय शादी

 

Summary: This podcast covers marriage statistics and norms in India. Next, it describes the history of arranged marriage in India and the social problems that marriage norms can cause for poor families and women. It ends with a comparison of marriage norms in India and America.

सारांश: इस पॉडकास्ट में भारत में विवाह के आंकड़े और मानदंड शामिल हैं। इसके बाद यह सुनाता है भारत में व्यवस्थित विवाह के इतिहास और इसकी परेशानियां गरीब परिवारों और महिलाओं के लिए । आखिर भारत और अमेरिका के बीच विवाह के मानदंड तुलना है।

Caste System: Old vs New

जाति व्यवस्था:  नई और पुरानी

We talk about the caste system in India and how it is different from the original system. Which system is better? And, what can we do to make India a country of equality?

हम भारत में जाति व्यवस्था के बारे में बात करते हैं और यह मूल व्यवस्था से अलग कैसे है। कौन सा व्यवस्था बेहतर है? और, भारत को समानता का देश बनाने के लिए हम क्या कर सकते हैं?

भारत में जाति प्रथा

 

 

जातियों को कैसे अलग किया जाता है

 

 

भारत में जाति प्रथा तीन हजार सालों से है। हिंदुओं का मानना था कि जाति व्यवस्था समाज का सही क्रम है।यह चार कोटि: ब्राह्मण (पंडितों और शिक्षक), क्षत्रिय (योद्धाओं और अधिपति), वैश्य (किसानों और बनिया), और  शूद्रों / दलित (मजदूरों और सड़क स्वीपर) है। कई शताब्दियों  तक, जाति प्रथा ने यह तय किया कि कैसे हिंदू अपना जीवन जीते हैं।लोग अपनी जाति के बाहर शादी नहीं करते, गांव अलग हो जाते और ब्राह्मण शूद्रों से खाना या पेय नहीं लेते।जाति प्रथा उच्च जातियों को उपकार करती है और निम्नस्तर वर्ग को तकलीफ देता है। यह समस्या केवल ब्रिटिश राज के दौरान बढ़ी क्योंकि अंग्रेजों ने अपनी जनगणना पर कक्षाएं लगाकर जाति प्रथा को आधिकारिक बना दिया। कई इतिहासकारों का मानना है कि ब्रिटिश राज से पहले की जाति प्रथा अब की तुलना में बहुत अधिक खुली थी।आजकल जाति प्रथा कम चालू है

 

मैं खुद जाति प्रथा के खिलाफ हूं।यह एक ऐसी प्रणाली है जिसमें जातिवाद , रंगवाद और अर्थशास्त्रीय अन्याय है। सिस्टम लोगों को जन्म से फाड़ती है, जो एक गलत अवधारणा है। आज भी जाति प्रथा का कुछ बोलबाला है, युवा भारतीयों को खतरों का एहसास है। भारत के मेरे दोस्तों  सभी जाति प्रथा और उसके प्रभावों को नहीं पसंद करते हैं। हालाँकि, भारत में जाति प्रथा को कोई भी देख सकता है। एक आदमी की जाति उनके शादी विज्ञापन पर लिखी है। एक दलित के पास उच्च जाति के समान नौकरी के अवसर नहीं हैं। व्यावहारिक बुद्धि के पास  कोई भी लोगों  जाति प्रथा के खिलाफ हैं। 

 

यह बात समाज के लिए अहम है क्योंकि निचली जातियों भेदभाव सदियों से चला आ रहा है और इस रोकने की जरूरत है। यह खराब है कि लोग पूर्वाग्रह की एक प्रणाली को अनुगमन करते हैं।लोग कहते हैं कि जाति प्रथा परंपरा है इसलिए इसका अनुगमन किया जाना चाहिए। फिर, मैं असहमत हूं।  सिर्फ इसलिए कि यह परंपरा है, इसका मतलब यह नहीं है कि यह सही है। हर संस्कृति को नया बनाना की जरूरत है। यह हमारी पीढ़ी के लिए हमारी संस्कृति को बेहतर बनाने का मौका है। हमें अपने बच्चों के लिए एक सुखी दुनिया बनाना चाहिए और हम जाति प्रथा को खत्म करते के शुरू कर सकते हैं। 

 

मैं अपने पूरे ज़िंदगी में अमेरिका में रहा हूं, तो यहां एक समान जाति प्रथा नहीं है। हालांकि, मेरे पहले पॉडकास्ट में, मैंने अमेरिका में भेदभाव के बारे में बात की थी। अमेरिका में रंग के लोगों के साथ हर रोज भेदभाव किया जाता है। यहाँ यह है क्योंकि उनकी त्वचा का रंग। भेदभाव हर देश में होता है, लेकिन भारत में भेदभाव के लिए एक व्यवस्थित प्रथा है। 

 

मुझे लगता है कि सरकार जाति प्रथा की समस्या को मदद करने के लिए बहुत कुछ कर रही है। आरक्षण भारत में सकारात्मक कार्यवाही है जो निचली जातियों को मूत्ति प्रदान करता है। साथ ही, जाति प्रथा अवैध है।फिर भी, नीचे जातियों की मदद के लिए बहुत कुछ किया जाना बाकी है। एक तरीका निचली जातियों के लिए अर्थशास्त्रीय कार्यक्रम बनाना है। आर्थिक सहयोग प्रदान करके, शूद्र और अछूत भारत में समृद्ध हो सकते हैं।गरीबी और जातियां परस्पर संबंधित है। औरतें लड़ाई का एक महत्वपूर्ण संबंध है। दलित औरत का आत्मसम्मान मार्च जाति-आधारित यौन हिंसा के खिलाफ सबसे बड़ा मार्च था। दलित औरतें अक्सर यौन हिंसा की अहेर होती हैं। तो, नीचे जातियों की लड़ाई भी औरतें की लड़ाई है। अमेरिका में रहने वाले भारतीयों को उनके मुक्ति को समझना होगा। कई भारतीय अमेरिकियों के लिए, उनकी जाति का मुक्ति है कि उन्होंने इसे अमेरिका में कैसे बनाया। यद्यपि अमेरिका में जाति प्रथा बड़ी नहीं है, हमें पर फायदा होता है। समस्या को पूरी जाएगा, जब हर भारतीय का मानना है कि हम समान हैं। तब तक मासूम लोग तकलीफ़ देंगे।

आज की समाज में शादी

मैंने हमेशा सोचा है की शादी दो परिवारों के बीच में संयोजन होती है, दो इनसानों के बीच में संयोजन नहीं। मुझे ऐसे लगता था क्योंकि मैं एक भारतीय  परिवार मैं बड़ी हुई थी। अब मैं सीखने लगी हूँ की शादी का संस्थान  बहुत सारी औरतों की ज़िंदगी में नुक़सान पहुँचाता है। क्योंकि मैं अमेरिका में रहती हूँ, मेरे लिए शादी के संस्थान से खास बंधन नहीं है। लेकिन भारत में ऐसा नहीं है। वहां शादी के संस्थान से  औरतों की ज़िंदगी पर काफ़ी बड़ा बंधन है क्योंकि शादी के कारण औरतें ज़्यादा  पढ़ाई नहीं कर सकते ओर नौकरी नहीं कर सकते।

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Mental Health and Its Importance

Shahrik Punja

Mental Health is becoming increasingly important in our world. However, many people do not know what mental health is or how to access help. It is imperative for us as people to acknowledge mental health and help provide people with access to help.

 

मानसिक रोग एक जरूरी बात है दुनिया में. दुनिया में बहुत लोगों को मानसिक रोग है. लेकिन बहुत लोगों के पास मदद नहीं है. जरूरी है कि लोगों के पास मदद होनी चाहिए. बहुत लोग सोचते हैं कि मानसिक रोग जरूरी नहीं है क्योंकि वे लोग समस्या को नहीं देख सकते क्योंकि वे लोग शारीरिक तौर पर ठीक होते हैं. मानसिक रोग में खुदकुशी तवा चिंता उदासी और बहुत और चीजें है.

अमेरिका में डॉक्टर होते हैं जो मानसिक  लोग जानते हैं. इलाज में दवा शायद देते हैं या कभी-कभी थेरेपी.   लेकिन अमेरिका और भारत में बहुत थेरेपी नहीं है मानसिक रोग के साथ. बहुत लोग नहीं मानते कि मानसिक रोग एक जरूरी चीज है. भारत में बहुत लोग कहते हैं कि मानसिक रोग जरूरी नहीं है और लोग सिर्फ पागल हैं. यह गलत है. ऐसा नहीं कहना चाहिए. सच्चाई यह है कि मानसिक रोग के बारे में बात करना चाहिए.

अमेरिका में ज्यादातर डॉक्टर लोग मानसिक रोग के बारे में बात करते हैं. लेकिन भारत में ज्यादातर डॉक्टर लोग मानसिक रोग के बारे में नहीं बात करते हैं. ड्यूक  विश्वविद्यालय में भी फ्रेशमैन को बताते हैं कि मानसिक रोग के  साधन हमारे पास हैं. जैसे हमारे पास CAPS है. CAPS छात्रों को मदद करते हैं. दुनिया में बहुत सारे लोगों के पास CAPS जैसी मदद नहीं है. इसलिए हमारा फर्ज होना चाहिए कि मानसिक रोग के साधन सारी दुनिया के लोगों को मिलना चाहिए. सरकार की जिम्मेदारी है इस बात में और हमको भी मदद करना चाहिए. पहला कदम है मानसिक रोग के बारे में बात करना. क्या आप बात करेंगे?

 

मानसिक रोग: एक बढ़ता हुआ मुद्दा

Photo Courtesy of the Duke Chronicle

मानसिक रोग: एक बढ़ता हुआ मुद्दा

Mental health is an increasing concern not only in India or the U.S., but around the world. With the stigma associated with mental disorders, those with mental illnesses are discriminated against every day. This may cause aggravated breakouts in those with mental illnesses, but also causes shame to  flow through the family, a family that should be supportive. This causes an increased rate of suicide in those with mental illnesses. However, with resources such as psychologists and mental rehabilitation institutions, there are ways for those with mental disabilities to be nurtured and aided if need be. If you notice signs of mental illness in yourself or your friends, please keep an eye out and don’t be afraid to ask for help.

अमेरिका में लोग मानसिक रोग के बारे में सकारात्मक नहीं सोचते हैं। लेकिन ये विचार सिर्फ अमेरिका में नहीं हैं – पूरी दुनिया में हैं | इस दुनिया में, लोग मानसिक रोगी लोगों के साथ भेदभाव करते हैं | मानसिक रोगी लोगों के माथे पर कलंक होता है। ये है सोशल मीडिया पर या सिर्फ लोगों क विचार में। दुर्भाग्य से ये भेदभाव सिर्फ मानसिक रोगी लोगों के बारे में नहीं हैं ; उसके परिवार के बारे में भी हैं। इसीलिए, अगर उसके बच्चे को एक मानसिक विकार है तो वह परिवार बहुत शर्मिदा होता है। ऐसा भारत में अमेरिका से ज़्यादा होता है, लेकिन यह  हर जगह में अभी भी होता है। अगर बच्चे को मानसिक विकार है, तो  परिवार गर्भपात करवाते हैं या बच्चे को रखते है।   

अगर परिवार मानसिक रोगी बच्चे को रखते है, शर्म के अलावा, तो कभी-कभी परिवार बहुत चिंता करता है। इसीलिए कभी-कभी परिवार बच्चे को मनोविज्ञानी के पास भेजता है। अगर मनोविज्ञानी के साथ मानसिक विकार को ठीक नहीं होता,  तो मनोविज्ञानी परिवार को बोलता है कि बच्चे को एक मानसिक संस्थान पर जाने की ज़रुरत है। लेकिन, इसके साथ बहुत अकेलापन होता है मानसिक रोगी लोगों के लिए। इसीलिए, अगर मानसिक रोगी लोगों मानसिक संस्थान में जाते, तो काफी बार उनको अवसाद होता है। परिवार भी बहुत शर्मिंदा होता है अगर उनका  बच्चा एक मानसिक संस्थान में हैं। यह अच्छी चीज़ बिलकुल नहीं है क्योंकि परिवार बच्चे की समर्थन करना चाहिए ।  

जब आप दोस्तों के साथ होते हैं, तो मानसिक विकारों के संकेत देखिये! कुछ लोग उनके स्वस्थ के बारे में दोस्तों को नहीं बताते हैं, और चिंता की वजह से, मदद नहीं ढूँढ़ते हैं। अगर आपको या आपके दोस्त को मानसिक विकारों के संकेत हैं, तो एक मनोविज्ञानी को मिलिए। मनोविज्ञानी के साथ, कुछ मानसिक विकार की मदद होता हैं। उदाहरण के लिए, पीटीएसडी, एक प्रकार का पागलपन, खाने के विकार, अवसाद, और बहुत कुछ और। इसके साथ, खुदख़ुशी की दर और तंत्रिका टूटने की संख्या घट जाती है । 

Mental Health in a Rising Digital Age

 

वीडियो में, आमिर खान मानसिक रोग  के मुद्दों के बारे में बात करते हैं। दुनिया भर में मानसिक रोग एक बड़ा मुद्दा है. अमेरिका और भारत  में बहुत लोगों के मानसिक रोग के मुद्दे है. 

बाद में वीडियो में, एक माँ बोलने आई थी। मां ने अपनी बेटी के बारे में बात की, जो खुदकुशी से मर गई. बेटी ने एक नोट छोड़ दिया और नोट कहा कि वह बहुत दुखी है और स्कूल से बहुत दबाव महसूस करती है. मां आमिर खान और भीड़ सभी रो रहे थे.

अमेरिका और भारत में खुदकुशी एक बड़ा मुद्दा है। अमेरिका और भारत के बीस प्रतिशत युवाओं ने खुदकुशी करने के बारे में सोचा है।ख़ुदकुशी मानसिक रोग मुद्दे के कारण होता है. बच्चों में मानसिक रोग  मुद्दे स्कूल और माता-पिता से आता  है. अमेरिका और भारत से कई बच्चे तनाव में है क्योंकि उनके पास बहुत काम है. बहुत काम करने से बहुत तनाव होता है. जब बच्चा बहुत तनाव में होता है, तो यह खराब ग्रेड और डिप्रेशन का कारण बन सकता है।

सोशल मीडिया के साथ अधिक लोगों को मानसिक रोग है. फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया का उपयोग करते हैं. यह सोशल मीडिया मानसिक रोग का कारण बन सकता है क्योंकि बच्चे सोचते हैं कि उनका जिंदगी दूसरों की तुलना में सबसे बुरा है. सोशल मीडिया एक “छल” है.

Mental Health – What Can We Do?

 

मानसिक रोग – हम क्या कर सकते हैं

 

 

मानसिक रोग

 

 

अभी अमेरिका में मानसिक रोग एक बड़ी समस्या है। बहुत लोगों को इलाज नहीं मिल रहा। उदासीनता और भी समस्याएँ खड़ी कर देती है जैसा लत, ख़राब रिश्तें, और बहुत कुछ. मेरे लिए मानसिक रोग भी बड़ा है क्योंकि मेरे कई दोस्त उदासीनता से लड़ चुके हैं।

मानसिक रोग समस्याओं के कुछ लक्षण क्या है? कम शक्ति, नींद अच्छी नहीं आना है, और लोगों से दूर रहना. कई और लक्षण हैं। मानसिक रोग बीमारियां स्वलीनता, मनोभाजन, द्विध्रुवी, और बहुत कुछ हैं। अगर आप इन  लक्षणों से लड़ते हैं, तो डॉक्टर के पास जाएं । हमें मानसिक बीमारी के कलंक को भगाना है।

लोगों ने कई साल से मानसिक बीमारी के बारे में लिखा है। प्राचीन ग्रीस में लोग सोचते थे कि मानसिक बीमारी भगवान की वजह से है। बाद में, बीमार लोगों को आश्रम में भेज दिया गया। लेकिन बीसवाँ शतक में, डॉक्टरों दवा बनाई। आज, बहुत इलाजों हैं। योग करना, अच्छा खाना खाना, और दोस्ती करना सामान्य  इलाज है। दवा, उपचार, और अस्पताल जाना बड़े मामले के लिए हैं। सरकार को मानसिक बीमारियों में मदद करने के लिए बहुत करना चाहिए। आरोग्य बीमा सस्ता होना चाहिए। स्कूल में मानसिक रोग सिखाई जानी चाहिये। कई अस्पतालों में मानसिक रोग सुविधाएं नहीं हैं, इसलिए सरकार को पैसा भेजना चाहिए। सरकार मानसिक रोग इलाज के बारे में भी शासन बना सकती है। बेशक, यह भारत और अमेरिका में हो सकता है। हम भी मानसिक बीमार लोगों की मदद कर सकते हैं। हम लोगों से अच्छा हो सकता है। हम सामाजिक मीडिया इस्तेमाल करना बंद कर सकते हैं। हमें एक दूसरे से पूछना चाहिए कि हम कैसा कर रहे हैं।साथ में, हम इस समस्या को खत्म करेंगे।

मानसिक रोग- कभी हार मत मानो।

 

 

Mental health. Over the past few years, the word has gained prominence as the cases of those afflicted rise. Yet, we still face stigma, not just in India, not just in the United States but everywhere. For some odd reason, people have decided to associate weakness with mental illness, and as a result, people afflicted by the disease have come to internalize that. What the world fails to acknowledge is that those with mental illness are the strongest people to have ever existed. Day in and day out, they fight not only society’s perceptions but also themselves. I respect them. However, I also want them to know that they don’t have to fight that battle alone. Research has come a long way and undoubtedly has a long way to go, but there is hope. We can aid those afflicted in leading normal, fulfilling lives. As cases continue, it’s more important now than ever to lend a helping hand.

दुनिया में मानसिक रोग एक बड़ी समस्या है लेकिन बहुत से लोग क्यों नहीं मानते हैं? शायद कलंक की वजह से. WHO के अनुसार चार में से एक को मानसिक रोग है. इसका मतलब है कि करीब चार सौ पचास लाख लोगों के पास दुनिया में मानसिक रोग है. और भी हो सकता है, लेकिन हम कभी नहीं जान सकते कलंक की वजह से.

असल में भारत में सबसे ज्यादा लोगों को अवसाद है. अवसाद के लक्षण क्या हैं? कुछ देखने में आसान है, और कुछ देखने में मुश्किल हैं. देखने में सबसे आसान लक्षण है सुस्ती. उदाहरण के लिए, शायद बिना किसी कारण वो बहुत ज्यादा या कम सोएगा. एक और, वह काम में कोई रुचि नहीं दिखाएगा और देखने में मुश्किल लक्षण का उदाहरण आत्मघाती विचार है. लेकिन इसमें आशा है क्योंकि इसका इलाज हैं.

अवसाद और विभिन्न मानसिक रोग का इलाज है। एक विकल्प है दवा. लेकिन अगर दवाई लेता है तो बहुत दुष्प्रभाव होता है. इसलिए, मानसिक रोग के लिए बहुत इलाज विकल्प है. अनुसंधान से पता चला है कि ध्यान और व्यायाम और संज्ञानात्मक व्यवहारवादी रोगोपचार प्रभावी हैं. और चिकित्सा भी बहुत महत्वपूर्ण हैं। अगर आप को मानसिक रोग है, तो डॉक्टर के पास . आप सामान्य जीवन जी सकते हैं. अगर आप जानते हैं कि किसी को मानसिक रोग है, तो उनकी मदद करें। हम साथ साथ कलंक और मानसिक रोग को ख़तम कर सकते हैं.

Support for Mental Health

Mental Health is very stigmatized in society, yet it affects thousands of people. It is a serious illness and mental health patients should be supported and cared for. If mental health is not addressed properly,  people can go into severe depression and even commit suicide. To prevent this, everyone must play a role in supporting those with mental health issues and reducing its stigmatization in society.

Podcast Transcription:

मानसिक रोग एक बहुत ही महत्वपूर्ण बात है, क्योंकि यह समाज में बहुत कलंकित है. उदासीनता, चिंता, स्किज़ोफ्रेनिअ, आटिज्म जैसी स्थितियों से हज़ारों लोग प्रभावित हैं. इस तरह की स्थितियां बीमारी हैं और इस तरह के रूप में इलाज किया जाना चाहिए, कलंकित नहीं.

मानसिक रोगी को अक्सर समझा या समर्थित नहीं किया जाता है. लेकिन उन्हें अतिरिक्त देखभाल और सहायता की आवश्यकता होती है, क्योंकि उनका मस्तिष्क बीमार है। मानसिक बीमारियों को खंडित दिमाग के रूप में सोचा जाना चाहिए. टूटी हड्डी की तरह, मन का भी इलाज किया जाना चाहिए ताकि यह ठीक हो सके. मानसिक स्वास्थ्य रोगियों को मनोचिकित्सकों को देखना चाहिए और चिकित्सा के लिए जाना चाहिए. यदि मानसिक बीमारियों का इलाज नहीं किया जाता है, तो बीमारी बढ़ सकती हैं और मानसिक रोगी आत्महत्या भी कर सकते हैं।

आत्महत्या मृत्यु का दसवां प्रमुख कारण है, लेकिन इसे रोका जा सकता है. उदासीनता और आत्महत्या के संकेतों को पहचानकर, और उपयुक्त संसाधनों के लिए आत्महत्या के जोखिम वाले लोगों का उल्लेख करते हुए, हम उदासीनता से पीड़ित लोगों की मदद कर सकते हैं. उदासीनता और आत्महत्या के कुछ लक्षणों में असहाय महसूस करना, गतिविधियों में रुचि की हानि, वजन और नींद में बदलाव, काम में मन लगना, और मृत्यु की योजना बनाना शामिल हैं। यदि आप या आपका कोई परिचित आत्महत्या के बारे में सोच रहा है, तो कृपया 800-273-TALK पर राष्ट्रीय आत्महत्या रोकथाम लाइफ लाइन को कॉल करें.

~Pallavi Avasarala