घर का नौकर बहुत काम करते हैं
वे सुबह में आते हैं और पूरे दिन काम करते हैं
लेकिन लोग उसके सम्मान नहीं देते हैं
जब लोग खाना खाते हैं नौकरों उसके साथ नहीं बैठते हैं
वे लोग अगले स्थान और अकेले खाते हैं
यह चीज़ कासते सिस्टम का एक उदहारण है
1950 में भारत का सर्कार किया की कासते सिस्टम का भेदभाव अवैध है
लेकिन भेदभाव होते है
यह चीज़ गुप्त नहीं है
भारत में सब लोग जानते है कि नौकरों दलित होते है और उसे मौक़ा नहीं मिलते है
इसलिए भारत में बहुत मुश्किल है कि घर का नौकरों को कैसे सशक्त बनाते
और जो स्कूल जाते है वह विश्वविद्यालय नहीं जाते हैं
मेरे विचार से भारत कि सर्कार उस लोग के लिए नया प्रोग्राम करना पड़ेगा
शिक्षा से सब लोग को मौका मिलेगा